उदम

 ( क्रिया )

ओको टुङ ते कमि रिकाओं: च होबाओ: तन रेअ:मुंडि नमो: तना, एनागे उदम कजिओ: तना।

( जिस शब्‍द से किसी काम के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहतें है ।)

चिल्‍का ( जैसे ): -

                     ओलेअइञ् ।

                     ( लिखूँगा )

                     जोमेअम ।

                    ( तुम खाओगे )

                     सेनो:अए: ।

                    ( वह जाएगा)

सिदा बकंड़ा रे “ ओल ” तला बकंड़ा रे “ जोम ”ओड़ो: टुंडु बकंड़ा रे “ सेनो: ” रअ: कमि होबाओ:तनअ: मुंडिओ: तना। एना मेन्ते “ ओल ” “ जोम ” ओड़ो: सेनो: उदम को कजिओ: तना।

( प्रथम वाक्‍य में “ओल ” दूसरे वाक्‍य में “ जोम ” और अंतिम वाक्‍य में “ सेनो: ” शब्‍द से क्रिया के होने का बोध होता है । इसलिए “ ओल ” “ जोम ” और “ सेनो:” ये सभी क्रियाऍं हैं ।)

 

              उदम रेअ: हनटिङ

               ( क्रिया के भेद )

उदम असर लेकाते बरतअ: रे हटिङाकना :-

1.    सम रिनिका उदम (सकर्मक क्रिया )

2.    समा रिनिका उदम ( अकर्मक क्रिया )

 

1 . सम रिनिका उदम ( सकर्मक क्रिया ) :-

ओको उदम रेअ: असर रिनिका रे टोगो: तना, एना सम रिनिका उदम कजिओ: तना ।

( जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़ता हैं, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं )

चिल्‍का ( जैसे ):-

१.    उलिए जोमतना ।

( वह आम खा रहा है )

२.    दअ:इञ् नू तना ।

( मैं पानी पी रहा हूँ ।)

चेतन रेअ: सिदा बकंड़ा रे “ जोम ” ओड़ो: तयोम बकंड़ा रे “ नू ” उदम तनअ: । उदम रअ: असर सिदा बकंड़ा रे “ उलि ” ओड़ो: तयोम बकंड़ा रे “दअ: ” रे रितागे लेलो:तना । एना मेन्ते ने बरन बकंड़ा रेअ: दउम, सम रिनिका उदम कजिओ: तना।

( ऊपर के प्रथम वाक्‍य में “ जोम ” और दूसरे वाक्‍य में “ नू ” क्रिया है । क्रिया का असर प्रथम वाक्‍य में “ उलि ” और वाक्‍य में “ दअ: ” में स्‍पष्‍ट दिखाई देता है । इसलिए दोनों वाक्‍यों की क्रियाऍं सकर्मक क्रिया है । )

 

2 . समा रिनिका उदम ( अकर्मक क्रिया ) :-

ओको उदम रेअ: असर कमिनि: (कर्त्ता ) रेगे टोगो: तना, एना समा रिनिका उदम कजिओ: तना।

( जिस क्रिया का फल कर्त्ता पर पड़ता है , उसे कर्मक क्रिया कहते हैं । )

चिल्‍का ( जैसे ) :-

                     गिति: अकनाए ।

                   ( वह सोया हुआ है । )

                    गोतअ:न तनाञ् ।

                    ( मैं खुजला रहा हूँ ।)

चेतन रेअ: सिदा बकंड़ा रे “ गिति: ” ओड़ो: तयोम बकंड़ा रे “ गोतअ:न ” उदम तनअ:। बरन बकंड़ा रे उदम रेअ: असर सुपट गे कमिनि: रे टोगो: तना। एना मेन्ते नेअकिङसमा रिनिका उदम तनअ: ।

( ऊपर के प्रथम वाक्‍य में “गिति: ” और दूसरे वाक्‍य में “ गोतअ:न” क्रियाऍं हैं। दोनों वाक्‍य में क्रिया का असर स्‍पष्‍ट रूप से कर्त्ता पर ही पड़ रहा है । इसलिए ये दोनों अकर्मक क्रियॉं है। )

 

           होड़ो जगर रेअ: मूद् उदमको

 

मेनअ:/ मेनगा :-  मुंडि उदुब् बकंड़ा रे का जीअन मेता लोओ: ते “ मेनअ: ” ओड़ो जीअन मेता रे मूद् उदम “मेनअ:” लोओ: ते नङमेता गनतिनको जोटोगो: तनला । मेन्दो गनतिन सकम जइन बदिलि इदिओ:अ ।

( विधान वाचक वाक्‍य में अप्राणी वाचक संज्ञा के साथ “मेनअ: ” और प्राणी वाचक संज्ञा में विशिष्‍ट क्रिया “ मेनअ:” के साथ सर्वनामिक प्रत्‍यय जोड़े जाते हैं लेकिन प्रत्‍यय वचन के अनुरूप बदलता है ।)

चिल्‍का ( जैसे ) :-

१.    का जीअन मेता (अप्राणी वाचक संज्ञा )

डालि रे उलि मेनअ: ।

( टोकरी मं आम है )

 

२.    जीअन मेता ( प्राणी वाचक संज्ञा )

अइञ् राँची रे मेनअ: इञ्अ।

( मैं राँची में हूँ )

 

पहमे कज‍ि :- “मेनअ:” रअ: बदला रे “ रे/ री ” ओ मूद् उदम लेका गे बकंड़ा रे जोटोगो: तना ।

                     ( “ मेनअ: ” के विकल्‍प में “ रे/री” का प्रयोग भी वाक्‍य में विशिष्‍ट क्रिया के रूप में किया जाता है )

चिल्‍का ( जैसे ) :-

                      होनिइङ कोड़ा दिल्‍ली रीअ।

                     ( मेरा बेटा दिल्‍ली में है ) 

बनो:/ बनो:अ/ बनोगा :-  उजुर उदुब् बकंड़ा रे का जीअन मेता मेन्ते “ बनो:/ बनों:अ/ बनोगा ” ओड़ो जीअन् मेता मेन्ते “ बङ/ बङगअ: ” जोटागो: तना। गनतिन सकम जइन बदिलि इदिओ:अ ।

(निषेध वाचक वाक्‍य में अप्राणी वाचक संज्ञा के लिए “ बनो:/ बनो:अ/ बनोगा” और प्राणी वाचक संज्ञज्ञ के लिए “बङ/ बङगअ: ” जोड़ा जाता है । प्रत्‍यय वचन के अनुसार बदलता है । )

चिल्‍का ( जैसे ) :-

१.    का जीअन मेता ( अप्राणी वाचक संज्ञा )

अइञ् तअ: रे टका बनो:/बनो:अ ।

                        ( मेरे पास पैसे नहीं है। )

२.    जीअन मेता ( प्राणी वाचक संज्ञा )

 ओड़अ रे जेताए बङकोअ।

( घर में कोई नहीं हैं ।)

सोमा ओड़अ: रे बङगअ:इअ।

( सोमा घर में नहीं है । )

तन :- “का जीअन मेता लोओ: ते मूद उदम “तन” रे मुनु बनि “अ:” जोटोगो: तना ओड़ो: जीअन मेता लोओ: ते “तन” रे नङमेता गनतिन । गनतिन सकम जइन बदिलि इदिओ:अ ।

( अप्रणी वाचक संज्ञा के साथ विशिष्ट क्रिया “तन” में स्वर वर्ण “अ:” जोड़ा जाता है और प्राणी वाचक संज्ञा के साथ “तन” में सर्वनामिक प्रत्यय वचन के अनुरूप बदलते हैं ।)

1.    का जीअन मेता          :       नेअ चउलि तनअ:।

(अप्राणीवाचक संज्ञा)   :      ( यह चावल है।)

2.     जीअन मेता              :     इन‍ि: मुण्‍डा तनि: ।

(प्राणी वाचक संज्ञा )    :    ( वह मुण्‍डा है ।)

 

उदम ते मेता रेअ: सोंगड़ा बनइ मुंडि

(क्रिया से संज्ञा बनाने की सामान्‍य विधि )

1.    उदम रेअ: एनेटे: रे मुनु बनि तइनो: रे, एन तयोम रेगे बोजा बनि “न” जोटोगो: अ ओड़ो: “न” रे एन मुनु बनि रअ: बनितोङ चिना गे ओल जमाओ: आ एनाते उदम रेअ: सरे: अकन टुङको जोटोगो: अ ।

(क्रिया का प्रथम अक्षर यदि स्‍वर वर्ण हो, तो उस स्‍वर वर्ण के ठीक बाद में व्‍यंजन “न” लगेगा और उस पर सम्‍बन्धित स्‍वर की मात्रा ही लगेगा तब अंत में क्रिया के शेषांश को जोड़ते हैं ।)

चिल्‍का (जैसे) :-

          उदम                       मेता

        ( क्रिया )                   ( संज्ञा )

असि (माँगना )             अनासि ( माँग )

इतु ( सिखाना )            इनितु ( सीख )

उरूम ( पहचानना)      उनुरूम ( पहचान )

एम ( देना )                एनेम ( देन )

ओल ( लिखना )         ओनोल ( लिखावट )

 

2.    उदम रेअ: ऐनेट: रे बोजा बनि तइनों: रे ओड़ो: एन बोजा बनि रे बनितोङ चिना तइन जन रे “न” रेओ सिदा रअ: बनितोङ चिना गे जोटो: जमाओ:अ ।

( क्रिया का प्रथम अक्षर यदि व्‍यंजन वर्ण हो और उस पर मात्रा  चिन्‍ह लगा हो, तो व्‍यंजन वर्ण “न” पर भी वही मात्रा चिन्‍ह लगता है ।)

चिल्‍का ( जैसे ) :-

            उदम                    मेता

           ( क्रिया )              ( संज्ञा )

दुब्  ( बैठना )             दुनूब् ( बैठक )

लेका ( गिनना )          लेनेका ( गिनती )

हेर ( बोना )              हेनेर (बोआई )

सेन ( चलना )           सेनेन ( चलन)

 

3.    उदम रेअ: एनेटे: रे बोजा बनि तइनों: रे ओड़ो: एन बोजा बनि रे बनितोंङ चिना का तइन जन रे “न” रेओ जेतन बनितोंङ चिना का ओमोगा ।

( क्रिया का प्रथम अक्षर यदि व्‍यंजन वर्ण हो और उस पर कोई मात्रा  चिन्‍ह न रहे, तो व्‍यंजन वर्ण “न” पर भी कोर्ठ मात्रा चिन्‍ह नहीं लगेगा ) ।

चिल्‍का ( जैसे ) :-

                   उदम                          मेता

                 ( क्रिया )                      ( संज्ञा )

               गलङ ( बिनना )        गनलङ (बिनावट )

              दल ( पीटना )            दनल ( पिटाई )

              सब् ( पकड़ना )          सनब् ( पकड़ )

             बइ ( बनाना )              बनइ ( बनावट )

             सला ( चुतता )            सनला ( चुनाव )

 

समा रिनिका उदम रेअ: बनइ मुंडि

( अकर्मक क्रिया बनाने की व‍िधि )

1.    उमद रेअ: टुंडु बनि रे “आ” (ा) रेअ: बनितोङ चिना तइनो: रे गनतिन “अन” अर का तइनो: रे गनतिन “एन” जोटोगो: तना।

( क्रिया पद के अंतिम वर्ण में “आ (ा)” की मात्रा रहने पर प्रत्‍यय “अन” और नहीं रहने पर प्रत्‍यय  “एन” लगता है।)

 

अन (आ+अ = आ (ा)

उदम            गनतिन            समा रिनिका उमद

(क्रिया)          (प्रत्‍यय)           (अकर्मक क्रिया)

लगा      +     अन        =         लगान

 हका     +    अन        =          हकान

सला      +    अन        =        सलान

लेका     +    अन        =        लेकान

मेसा     +     अन       =         मेसान

पुरा      +     अन       =         पुरान

चिटा     +    अन        =      चिटान

 

एन (अ+ए = ए (े)

तोल      +    एन       =      तोलेन

सब्      +    एन       =       सबेन

ओल     +    एन       =       ओलेन

जल      +    एन       =       जलेन

लेल      +    एन       =       लेलेन

 

2 .  इ (ि‍), ई (ी), उ (ु), ऊ (ू), ए (े), रेअ: बनितोङ चिना च बनि‍ तइनो: रे गनतिन, “न” जोटोगो: तना ।

     ( इ (ि‍), ई (ी), उ (ु), ऊ (ू), ए (े), की मात्रा या वर्ण रहने पर प्रत्‍यय “न” लगता है ।)

कजि   +    =  कजिन

राजि  +     =  राजिन

इतु  +     =  इतुन

गुतु   +    =  गुतुन

सू    +     =  सून

3 .  उदम रअ: टुडुं बनि “व” तइनो: रे गनतिन “ओन” जोटो: जमा केआते समा रिनिका उदम बइओ: तना।

     ( क्रिया पद के अंत में व्‍यंजन वर्ण “व” रहने पर प्रत्‍यय “ओन” लगाकर अकर्मक क्रिया बनता है ।)

ओन (अ +ओ =ओ (ो)

कटाव   +  ओन/ एन    =   कटवोन / एन

लगव   +   ओन / एन   =   लगवोन / एन

जोगव   +  ओन / एन   =   जोगवोन / एन

सटाव   +  ओन / एन   =   सटावोन / एन

 

सम रिनिका उदम रेअ: बनइ मुंडि

( सकर्मक क्रिया बनाने की विधि )

1 .  उदम रेअ: टुंडु रे बनितोङ चिना का तइनो: रे “इ” रअ: बनितोङ चिना (ि‍) ओम केआते सम रिनिका उदम बइओ:तना ।

( क्रिया पद का अंतिम वर्ण मात्रा विहीन रहने पर, उस वर्ण में “इ” (‍ि) की मात्रा देकर सकर्मक क्रिया बनता है ।)

उदम         बनितोंङ चिना      सम रिनिका उदम

(क्रिया)    (मात्रा चिन्‍ह)         (सकर्मक क्रिया)

सब     +      ि‍             =    सबि

दल     +     ि‍             =    दलि

नम     +     ि‍            =     नम‍ि

 

2 .  उदम टुंनुडु रे मुनु बनि ओतोङ चिना आ (ा), इ (ि), ई (ी), उ (ु), ऊ (ू), ए (े), ओ (ो), ओड़ो: अ: ( : ) तइनो: रे एन तयोम रे मुनु बनि “इ” जोटो: केआते सम रिनिका उदम बइओ: तना ।

( क्रिया के अंतिम वर्ण में स्‍वर वर्ण या स्‍वर वर्ण की मात्राऍं आ (ा), इ (ि‍), ई (ी), उ (ु), ऊ (ू), ए (े), ओ (ो), और अ: ( : ) रहने पर अंत में स्‍वर वर्ण  “ इ” लगाकर सकर्मक क्रिया बनाया जाता है ।)

उदम        मुनु बनि         सम रिनिका उदम

(क्रिया)   (स्‍वर वर्ण)      ( सकर्मक क्रिया )

लगा    +             =     लगाइ

सला    +            =    सलाइ

जमा    +            =   जमाइ

इदि     + इ           =    इदिइ

इ‍तु      + इ           =    इतु

अचु    +            =    अचुइ

बले    + इ           =   बलेइ

थब्अ: + इ         =   थब्अ:इ

दोंदो   + इ        =    दोंदोइ

 

उदम ते मेता रेअ: सोंगड़ा बनइ मुंडि

( क्रिया से संज्ञा बनाने की सामान्‍य विधि )

1 . उदम रेअ: एनेटे: रे मुनु बनि तइनो: रे एन तयोम रे गे बोजा बनि “न“ जोटोगो:अ ओड़ो: “न” रे एन मुनु बनि रअ: बनितोङ चिना गे ओल जमाओ:अ। एनाते उदम रेअ: सरे:अकन टुंङको जोटोगो:तना ।

( क्रिया का प्रथम अक्षर यदि स्‍वर वर्ण हो, तो उस स्‍वर वर्ण के ठीक बाद में व्‍यंजन वर्ण “न” लगेगा और उस पर सम्‍बन्धित स्‍वर वर्ण की मात्रा लगता है और अंत में क्रिया के शेषांश को जोड़ते हैं ।)

चिल्‍का ( जैसे) :-

उदम                  मेता

(क्रिया)             ( संज्ञा )

असि (मॉगना)    अनासि ( मॉग )

इतु (सिखाना)     इनितु ( सीख)

एम ( देना)         एनेम (देन)

ओल (लिखना )  ओनोल (लिखावट)

 

2 .  उदम रेअ: एनेटे: रे बोजा बनि तइनो: रे ओड़ो: एन बोजा बनि रे बनितोङ चिना तइन जन रे “न” रेओ सिदा रअ: बनितोङ चिना गे जोटो: जमाओ:अ ।

 ( क्रिया का प्रथम अक्षर यदि व्‍यंजन वर्ण हो, और उस पर मात्रा लगी हुई हो, तो व्‍यंजन वर्ण “न” पर भी मात्रा लगेगा ।)

चिल्‍का ( जैसे ) :-

उदम                 मेता

( क्रिया )          ( संज्ञा )

दुब् (बैठना)      दुनुब् (बैठक)

लेका (गिनना)   लेनेका (गिनती)

हेर (बोना)        हेनेर (बोआई)

सेन (चलना)    सेनेन (चलन)

 

3 . उदम रेअ: एनेटे: रे बोजा बनि तइनो: रे ओड़ो: एन बोजा बनि रे बनितोङ चिना का  तइन जन रे “न” रेओ जेतन बनितोङ चिना का ओमो:अ ।

   ( क्रिया का प्रथम अक्षर यदि व्‍यंजन वर्ण हो और उस व्‍यंजन वर्ण पर कोई मात्रा चिन्‍ह नहीं लगा हो, तो व्‍यंजन वर्ण “न” पर भी कोई मात्रा चिन्‍ह नहीं लगेगा ।)

चिल्‍का ( जैसे ) :-

उदम                   मेता

( क्रिया)               ( संज्ञा )

गलङ (बिनना)      गनलङ (बिनावट)

दल (पीटना)         दनल (पिटाई)

सब् (पकड़ना)       सनब् (पकड़)

बइ (बनाना)         बनइ (बनावट)

सला (चुनना)       सनला (चुनाव)

 

उदम ते उपुदम रेअ: सोंगड़ा बनइ मुंडि

( क्रिया से पारस्‍परिक क्रिया बनाने की सरल विधि )

उदम रेअ: एनेटे: रे मुनु बनि अ, , , ए ओड़ो: ओ तइनो: रे बोजा बनि “प” रेओ एन मुनु बनि रअ: बनितोङ चिना अ (ा), इ (ि‍), उ (ु), ए (े) ओड़ो: ओ (ो) गे जोटोगो:अ । सरे:अकन बनिको एन तयोमते उदम लो:ते सोतो: जमाओ: ।

( क्रिया का प्रथम अक्षर यदि स्‍वर वर्ण अ, ,, , और ओ रहे तो व्‍यंजन वर्ण “प” में भी क्रमश: स्‍वर वर्ण अ (ा), इ (ि‍), उ (ु), ए (े) और  ओ (ो) की मात्रा ही लगेगा। इसके बाद शेष

शब्‍दांश को क्रिया के साथ जोड़ यिा जाता है।)

चिल्‍का (जैसे) :-

उदम                    उपुदम

(क्रिया)                (पारस्‍परिक क्रिया)

अयुम (सुनना)      अपायुम (एक दुसरे को सुनना)

इतु (सिखाना)       इपितु (एक दुसरे को सिखाना)

उदुब् (बताना)      उपुदुब् (एक दुसरे को बताना)

एरङ (डॉटना)      एपेरङ (एक दुसरे को डॉटना)

ओल (लिखना)     ओपोल (एक दुसरे का लिखना)

2 . उदम रेअ: एनेटे: रे बनितोङ चिना ओमाकन बोजा बनि तइनो: रे बोजा बनि तइनो: रे बोजा बनि “प” रेओ सिदा रेअ: बनितोङ चिना गे जोटो: जमाओ:अ । सरे:अकन बनिको एन तयोमते उदम लो:ते  सोतो: संगोमो:अ।

( क्रिया के आरम्‍भ में मात्रा से युक्‍त कोई व्‍यंजन वर्ण रहे, तो व्‍यंजन वर्ण “प” में भी पहले की मात्रा ही लगती है । उसके बाद शेष शब्‍दांश को क्रिया के साथ जोड़ दिया जाता है।)

चिल्‍का ( जैसे ) :-

उदम                 उपुदम

(क्रिया)              (पारस्‍परिक क्रिया)

चिना (चिनना)     चिपिना (एक दुसरे को चिनना)

कुलि (पूछना)     कुपुलि (एक दुसरे को पूछना)

केसेद् (छेकना)  केपेसेद् (एक दुसरे को छेकना)

तोल ( बॉधना)   तोपोल (एक दुसरे को बॉधना)  

 

3 . उदम रेअ: एनेटे: रे बनितोङ जेतान चिना का ओमाकन बोजा बनि तइनो: रे, बोजा बनि “प” रेओ जेतन चिना का ओमो:अ । सरे: अकन बनिको एन तयोम ते उदम लो:ते जोटो: जमाओ:अ।

( क्रिया के आरम्‍भ में यदि व्‍यंजन वर्ण हो और उस पर कोइ मात्रा न रहे, तो व्‍यंजन वर्ण “प” में भी कोई मात्रा चिन्‍ह नही लगेगा । उसके बाद शेष शब्‍दांश को क्रिया के साथ जोड़ दिया जाता है ।)

चिल्‍का (जैसे) :-

उदम                          उपुदम

(क्रिया)                       (पारस्‍परिक क्रिया)

कटव (खण्‍डन करना)   कपटव (एक दुसरे का खण्‍डन करना)

चलव (चलना)             चपलव (एक दुसरे को चलना)

नम (पाना)                 नपम (एक दुसरे को पाना)

मअ: (काटना)            मपअ: (एक दुसरे को काटना)

सदव (सताना)           सपदव (एक दुसरे को सताना)