बनि
सोनोतो:
(वर्त्तनी)
होड़ो जगर ओनोल रे बनि सोनोतो: रेअ: पहमे कजिको
नेका नेल दड़िओ:अ।
(मुण्डारी भाषा की लेखनी में वर्त्तनी से सम्बन्ध्ति
निम्नलिखित विचारणीय तथ्य देखे जा सकते है)
1. मुनु
बनि :- होड़ो जगर रेअ: ओनोल रे दिंगाए: मुनु ओड़ो: जिलिङ
मुनु बनि वरानअ: गे जगाजइन जोटोगो:तना। मेन्दो दिंगाए: मुनु बनि, जिलिङ मुनु बनिको आते पुरअ:गरङ ओल जमाओ:तना। ओेकोतअ: रे पुनुचिद् सड़ा
दिंगाए: गे उड़ुङो:तना, एनतअ: रे दिंगाए: मुनु बनि ओड़ो ओकोतअ:
रे पुनुचिद् सड़ा जिलिङो:तना, एन टयद् रे जिलिड़ मुनु बनि ओलो:
तना।
(ह्रस्व और दीर्घ स्वर दोनों का ही मुण्डारी भाषा में यथा स्थान प्रयोग मिलता है। लेकिन
दीर्घ-स्वर वर्णो की तुलना में ह्रस्व -स्वर वर्णो का लचान में अधिक प्रयोग
किया जाना है। जहॉ स्वर वर्ण का ह्रस्व की तरह उच्चारण होता है, वहॉ पर
ह्रस्व स्वर और जहॉ दीर्घ की तरह उच्चारण होता है वहॉ पर दीर्घ स्वर वर्ण का
प्रयोग होता है।)
चिल्का(जैसे) :-
दिंगाए: पुनुचिद् जिलिड़ पुनुचिद्
(ह्रस्व उच्चारण) (दीर्घ उच्चारण)
उर = (कोड़ना) ऊर = (चमड़ा)
उब् = (उड़ेलना) ऊब् = (बाल)
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