1.
बनितोङ चिना :- ओकोतअ:रे
पुनुचिद् सड़ा दिंगाए: गे उड़ुङो:तना एनतअ:रे दिंगाए: बनितोङ चिना ओड़ो ओकोतअ:रे
पुनुचिद् सड़ा जिलिङ गे उड़ुङो:तना एनतअ:रे जिलिङ बनितोङ चिना ओमो:तना।
(जहाँ पर ह्रस्व की तरह उच्चारण
होता है,
वहाँ पर अल्प मात्रिक चिहृ और जहाँ पर दीर्घ की तरह उच्चारण होता
है, वहाँ पर दीर्घ मात्रिक चिहृों का प्रयोग होता है।)
चिल्का (जैसे) :-
दिंगाए: बनितोङ चिना जिलिङ बनितोङ चिना
(अल्प मात्रिक चिह्र) (दीर्घ मात्रिक चिह्र)
पिटि = (पेटी) पीटि = (बाजार)
जिर = (झलना) जीर = (दलदल)
जुला = (कमीज) जुला = (चूल्हा)
श / ष / स :- होड़ो
जगर रेअ: ओनोल रे बोजा बनि “स” एस्कर गे ओलो: तना “श” ओड़ो: “ष” दो का।
(मुण्डारी भाषा के लेखन में केवल
मूर्धन्य “स” का ही प्रयोग मिलता है, तालचव्य “श” और पेटकटा
“ष” का नहीं ।)
क्ष / त्र / ज्ञ :-
क्ष,
त्र ओड़ो: ज्ञ होड़ो जगर रेअ: ओनोल रे का जोटोगो: तना। मेन्दो
“ज्ञानी” ओलतन दिपिलि “ज्ञ” ओलबड़ाओ: तना।
(क्ष, त्र और ज्ञ का मुण्डारी
भाषा के लेखन में प्रयोग नहीं मिलता है लेकिन कभी कभी “ज्ञानी” लिखते समय “ज्ञ” का
प्रयोग करते हैं।)
“ऋ” :- “ऋ” होड़ो जगर
रेअ: ओनोल रे का नमो:तना मेन्दो “ऋ” रअ: बदला रे “रि” ओल दड़िओ:अ।
(“ऋ” का प्रयोग मुण्डारी भाषा के लेखन
में नहीं मिलता है, लेकिन “ऋ” के बदले में “रि” लिखा जा सकता
है।)
चिल्का (जैसे) :-
ऋषि = रिसि
‘र’ रअ:
ओनोल :- होड़ो जगर रेअ: ओनोल रे सोंगड़ा “र” गे ओलो: तना।
नेरे ‘रेफ’ रअ: र (र्), समुद्र रअ:र
(द्र) दृश्य रअ: र (दृ), ओड़ो: ट्रस्ट रअ:र (ट्र) ओनोल रे
का जोटोगो: तना।
(मुण्डारी भाषा के लेखल में
साधारणतया ‘र’ का ही प्रयोग किया जाता
है। इसमें रेफ का र (र्), दृश्य का र (दृ) , और ट्रस्ट का र (ट्र) का प्रयोग नहीं मिलता हैं।)
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