बनितोङ आ (ा) रअ: जोनोटो:
1.
बोजा बनि ते टुंडुअकन टुङको रे दिंगाए:
मुनु बनि “अ” तइन तन गेअ। इमिन रेओ कोतअ: रे जिलिङ मुनु बनि “आ” रअ: पुनुचिद् सड़ा नमो:
तना एनतअ: रे ‘आ’ रेअ: बनितोङ चिना ओमो: तना।
(व्यंजनांत शब्दों में हृस्व-स्वर ‘अ’ रहता ही है फिर भी जहाँ उच्चारित ध्वनि में दीर्घ
स्वर वर्ण “आ” मिलता है वहाँ पर “आ” का मात्रा चिहृ लगता ही है।)
चिल्का (जैसे) :-
(अ + आ = आ (ा) )
कट → कटा
= पैर
डाट → डाटा = दांत
मांड → मांडा = पद चिहृ
2. जेता टुङ रअ: टुंड़ु बोजा
बनि रे आ (ा) रअ: बनितोङ चिना का ओमाकन रे ओड़ो: गनतिन “अ” ते एटेगाकन रे सिदा टुङ रअ:
टुंडु बोजा बनि रे “आ” (ा) रअ: बनितोङ चिना ओमो:तना।
(किसी शब्द के अंतिम व्यंजन वर्ण पर आ (ा) का मात्रा
चिहृ नहीं रहने पर और प्रत्यय का प्रथम अक्षर “अ” रहने पर, पहले शब्द के अंत में दीर्घ स्वर
“आ” (ा) की जो मात्रा चिहृ है उसका प्रत्यय “आ” के साथ विलय हो जाता है)
चिल्का (जैसे) :-
(अ + अ = आ (ा))
बिर + अकना = बिराकना
बिल + अकना = बिलाकना
3.
टुङ रअ: टुंडु बोजा बनि रे जिलिङ मुनु
बनि “आ” (ा) रअ: बनितोङ चिना ओमाकन रे ओड़ो: गनतिन दिंगाए: मुनु बनि ‘अ’ ते एटेगाकन रे, सिदा टुङ रअ:
टुंड़ु रे मेनअ: “आ” (ा) रअ: बनितोङ चिना लो:ते गनतिन रअ: “आ” जमा तुकाओ:अ।
(शब्द
के अंतिम व्यंजन वर्ण में दीर्घ स्वर वर्ण “आ” (ा) की मात्रा रहने पर और प्रत्यय
का प्रथम अक्षर “अ” रहने पर, पहले शब्द के अंत में दीर्घ स्वर
“आ” (ा) की जो मात्रा चिहृ है उसका प्रत्यय “अ” के साथ विलय हो जा ता है )
चिल्का
(जैसे) :-
(आ + अ = आ(ा))
बाबा + अकना = बाबाकना
साड़ा + अकना = साड़ाकना
“ऐ”
ओड़ो “औ” :- होड़ो
जगर रे जिलिङ मुनु बनि “ऐ” ओड़ो “ऐ” ओड़ो: “औ” एनका रअ: एनका गे का ओलो:तना एनका गे “ऐ”
ओड़ो: “औ” रअ: बनि ओतोङ चिना “े” आद् “ौ” ओनोल रे का अत्तर गे जोटोगो: तना। मेन्दो
मुनु बनि “ऐ” रअ: बदला रे “अइ/इए” ओड़ो: “औ” रअ: बदला रे “अउ/आउ” ओलो:तना।
(मुण्डारी
भाषा में दीर्घ सवर वर्ण “ऐ” और “औ” ज्यों का त्यों नहीं लिखा जाता है। इसी प्रकार
“ऐ” और “औ” की मात्रा चिहृों (े) और (ौ) का प्रयोग भी लेखन में बिलमुल नहीं किया जाता
है। बल्कि “ऐ” और “औ” के बदले में “अइ/अए” और “औ” के बदले में “अउ/आउ” लिखा जाता है।)
चिल्का
(जैसे):-
१. “ऐ” रअ: ओनोल मुटन
ठउका
मुटन = टउका मुटन
(अशुद्ध
रूप) (शुद्ध रूप)
ऐरू-गैरू =
अइरू-गइरू (अजनबी)
ऐरा =
अएरा (एक प्रकार का मछली)
२. “औ” रअ: ओनोल मुटन
का ठउका
मुटन ठउका मुटन
(अशुद्ध
रूप) (शुद्ध रूप)
औरि = अउरि (ठहरो)
कौरि = कउरि (शोर)
दौड़ि = दउड़ि (दौड़)
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