मेता
(संज्ञा)
जेता जिउ, जिनिस, टयद् च बोरोन रेअ: नुतुम
गे मेता कजिओ:तना या कजियाको।
(किसी प्राणी, वस्तु या भाव के नाम को ही संज्ञा कहते हैं।)
चिल्का (जैसे) :-
उरी: = (गाय)
मेरोम = (बकरी)
दारू = (पेड)
राँची = (राँची शहर)
मंडि
= (खाना) ओड़ोगे।
मेता रेअ: हनटिङ
(संज्ञा के भेद/प्रकार)
मेता मोड़ेतअ: रे
हटिङाकना –
1.
सुपट
मेता (व्यक्ति वाचक सेज्ञा)
2.
जति
मेता (जाति वाचक संज्ञा)
3.
बिति
मेता (द्रव्य वाचक संज्ञा)
4.
बोरोन
मेता (भाव वाचक संज्ञा)
5.
थोक
मेता (समूह वाचक संज्ञा)
1.
सुपट
मेता (व्यक्ति वाचक संज्ञा) :-
जेता
मियद् जिउ, जिनिस च टयद्
रेअ: नुतुम गे सुपट मेता कजिओ:तना।
(जिससे
किसी एक प्राणी, वस्तु या स्थान
के नाम का बोध होता है, उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते हैं)
चिल्का
(जैसे) :-
१. बिरसा मंडिए जोमतना।
(बिरसा खाना खा रहा है।)
२. बइबल मियद् धरम पुथि
तनअ:।
(बइबल एक धर्म ग्रंथ है।)
३.
खुँटी रेको पीटिअ।
(खुँटी में बाजार लगता है।)
चेतन रेअ: बकंड़ाको रे
बिरसा, बइबल, खुँटी,
मिमियद् जिउ, जिनिस ओड़ो: टयद् रेअ: नुतुमको तनअ:।
एना मेन्ते बिरसा, बइबल ओड़ो: खुँटी सुपट मेता को तनअ:।
(ऊपर के वाक्यों में
बिरसा, बइबल, और
खुँटी से क्रमश: एक-एक व्यक्ति, वस्तु और स्थान के नाम का
बोध होता है। इसलिए बिरसा, बइबल और खुँटी व्यक्ति वाचक संज्ञा
है।)
एटअ: जोनोकाको :-
सोमा = सोमा रबङ सा = शीत ऋतु
बइबल = बइबल ताजना गाड़ा = ताजना नदी
कुरान = कुरान खुँटी शहर = खुँटी शहर
मागे चड़ु: = माघ महीना भारत देश = भारत देश
सुकन बुरू = सुकन पहाड़ जरगि सा = वर्षा ऋतु
2.
जति
मेता (जाति वाचक संज्ञा) :-
जेता
जिउ च जिनिस रअ: जोतो जति च गोट गे जति मेता कजिओ: तना।
(जिससे
प्राणी या वस्तु विशेष की सम्पूर्ण जाति का बोध होता है, उसे जाति- वाचक संज्ञा कहते हैं।)
चिल्का (जैसे):-
१.
उरि: को अतिङ तना।
(गायें चर रही हैं।)
२.
बिर को उजड़ा तना।
(जंगल
उजड़ रहे हैं)
३. कोड़ाको दुबाकना।
(लड़के
बैठे हैं)
४.
सेताअ: को जोमतना।
(कुत्त खा रहा है)
चेतन रेअ: बकंड़ा रे “उरि:” ओड़ो: लतर रेअ: बकंड़ा रे “बिर”, “कोड़ाको”, “सेताअ:”, ते जोतो जति चि गोट रअ: गे मुंडि नमो: तना। एनाते को सोबेन
जति मेता तना।
(ऊपर के वाक्य में “उरि”, “बिर”, “कोड़ाको”, और “सेताअ:” से सम्पूर्ण जाति या समूह का ही बोध हो रहा
है। इसलिए “उरि:”, “बिर”, “कोड़ाको”, और
“सेताअ:” जाति वाचक संज्ञाएँ हैं।)
एटअ: जोनोका को :-
अपु = पिता गुसिया = सदस्य
इपिल = तारा जो = फल
उरि: = गाय बा = फूल
कुड़ि = स्त्री बुरू = पहाड़
एंगा = माता कोड़ा = पुरूष
3. बिति मेता (द्रव्य वाचक
संज्ञा) :-
सोंओ:, मुकाओ: च तुलाओ: तन जिनिसको गे बिति मेता कजिओ: तना।
(नापी या तौली जानेवाली
वस्तुओं को द्रव्यवाचन संज्ञा कहते हैं)
चिल्का (जैसे) :-
१. गेल टका रअ: मिद् पुइला चउलि
नमो: तना।
(दस रूपये का एक मइला
चावल मिलता है।)
२. निमिर आधा लिटर तोवा
का नमो:तना।
(आजकल आधा लिटर दूध नहीं
मिलता है।)
३. मनि सुनुम गेल टका रे नमो:तना।
(सरसों तेल दस रूपये में
मिलता है।)
चेतन रेअ: बकंड़ा रे “चउनलि”, “तोवा”, “मनि सुनुम”, नेया सेबेना: जिनिस तनअ:। नेअ सोंओ: ओड़ो: तुलाओ: तना।
एनाते नेया सोबेना: बिति मेता कजिओ: तना।
(ऊपर के वाक्य में “चावल”, “दुध”, “सरसों तेल” ये सब पदार्थ है, जो नापा और तौला भी जाता है। इसलिए यह द्रव्यवाचक संज्ञा है।)
4. बोरोन मेता (भाव वाचक
संज्ञा) :-
जेता होड़ो च जिनिस रे नमो: तन गुन/भाव गे बोरोन मेता
कजिओ:तना।
(किसी व्यक्ति या वस्तु में पाये जाने वाले गुण अथवा
भाव को ही भाववाचक संज्ञा कहते हैं।)
चिल्का (जैसे) :-
१. सोमा मियद् कमिया होड़ो
तनि:।
(सोमा एक कर्मठ व्यक्ति है।)
२. रतङ तुतुकुन गेअ।
(बर्फ ठंढा है)
३. ने होड़ो बएमान मेनाइआ।
(यह आदमी बहुत ही बेइमान
है।)
चेतन रेअ: बकंड़ा रे “कमिया”, “तुतुकुन”, “बएमान” नेअ सोबेना: ते जिनिस रेअ: गुन/भाव मुंड़ि नमो:
तना, एनाते नेया को सोबेना: बोरोन
मेता तना।
(ऊपर के वाक्यों में “कमिया”, “तुतुकुन”, “बएमान” ये सब शब्द से व्यक्ति या वस्तु के गुणों
का बोध हो रहा है। इसलिए ये सब शब्द
भाववाचक संज्ञाएँ हैं।)
एटअ: जोनोका को :-
उनुरूम =
पहचान बनइ = बनावट
एनेम = देन गुनि = गुणी
ओनोल = लिखावट कमिया = कर्मठ
सोनोतो: =
सजावट लेनेका = गिनती
दनल = पिटाई नुतुमन् = नामी
5. थोक मेता (समूह वाचक संज्ञा) :- मिद् जति जिउ च जिनिसको रअ: गोट गे थोक मेता
कजिओ: तना।
(एक ही जाति
के व्यक्तियों और वस्तुओं के समूह को समूह वाचक संज्ञा कहते है।)
चिल्का (जैसे) :-
१. पीटि ते होड़ोको रूड़ातना को।
(बाजार से लोग लौट रहे है।)
२. सभा रे होड़ोको दुबाकना ।
(सभा में लोग बैठे हैं।)
चेतन रेअ: बकंड़ा रे “पीटि” ओड़ो: तयोम रेअ: बकंड़ा
रे “सभा” टुङकिन ते होड़ोकोअ: थोक रेअ: मुंडि नमों: तना, एनाते “पीटि” ओड़ो “सभा” टुङ थोक मेताकिन तनअ:।
(ऊपर के वाक्यों में “पीटि” (बाजार) और “सभा” (सभा) शब्दों के द्वरा आदमियों
के समूह का बोध हो रहा है, इसलिए “पीटि” और “सभा” दोनों ही समूह वाचक संज्ञा शब्द हैं।)
एटअ: जोनोकाको :-
बुरू = मेला
जुलुस = जुलुस
पलटत = सैनिक
मिंडि गोट = भेंड़ो का झुंड
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