बकंड़ा बनइ
( वाक्य बनावट )
कजि रअ: मुंडि उदुब्तन सुपट टुङ च टुङको रअ:
गोट गे बकंड़ा कजिओ: तना।
( केवल सार्थक शब्द या शब्दों के समूह को
ही वाक्य कहते है )
बनइ लेकाते बकंड़ा रेअ: रोकोम
(बनावट के विचार से वाक्य के भेद )
बनइ लेकाते बकंड़ा बरतअ: रे हटिङाकना :-
1 . सोंगड़ा बकंड़ा ( सरल वाक्य )
2 . ओसर बकंड़ा ( संयुक्त वाक्य )
1 . सोंगड़ा बकंड़ा ( सरल वाक्य ) :- एसकर
उदमनि: ( कर्त्ता) ओड़ो: उदम (क्रिया) ते सोतो: संगोमकन बकंड़ा,
सोंगड़ा बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वाक्य में एक कर्त्ता और एक क्रिया
होती है,
उसे सरल वाक्य कहते है )
चिल्का ( जैसे ) :-
उरि: अतिङ तना।
( गाय चर रही है)
ने बकंड़ा रे “उरि:” उदमनि: ओड़ो: “अतिङ” उदम
तनअ:। एना मेन्ते नेआ सोंगड़ा बकंड़ा कजिओ: तना।
(इस वाक्य में “गाय” कर्त्ता और “चर”
क्रिया है। इसलिए यहाँ पर सरल वाक्य कहा जाता है)
2 . ओसर बकंड़ा ( संयुक्त वाक्य ) :- बरिया
च बरिया ते अदिका सोंगड़ा बकंड़ाको जोनोटो: टुङ ने जोटो: अकन बकंड़ा ओसर बकंड़ा कजिओ:
तना।
( संयोजक शब्दों से जुड़े हुए दो या दो से अधिक
सरल वाक्यों को संयुक्त वाक्य कहते हैं ।)
चिल्का ( जैसे ) :-
राँची रे मुसिंङएञ् कुपुल केना ओड़ो: गपातेरे
ओड़अ: तेइञ् रूड़ा जना।
(मैं एक दिन राँची में ठहर गया और दूसरे दिन
घर लौट आया)
नेतअ: रे बरिया बकंड़ा मेनअ:। बरन बकंड़ा
जोनोटो: टुङ “ओड़ो:” ते जोटो: जमाकना। उड़ु:ए चि पहमे कजि दो नेअ गे तनअ: चि ओसर
बकंड़ा रे मियद् बकंड़ा एटअ: बकंड़ा रे टेंडेराकन का तइना।
ओरोतो लेकाते बकंड़ा रेअ: रोकोम
( अर्थ के विचार से वाक्य के भेद )
ओरोतो लेकाते होड़ो जगर रेअ: बकंड़ा तुरि तअ:
रे हटिङाकना :-
१ . मुंडि उदुब् बकंड़ा ( विधान वाचक वाक्य )
२ . कुनुलि उदुब् बकंड़ा (प्रश्न वाचक वाक्य )
३ . उजुर उदुब् बकंड़ा ( नकार वाचक वाक्य )
४ . इदु उदुब् बकंड़ा (संदेह वाचक वाक्य )
५ . अनाचु उदुब् बकंड़ा (आज्ञा वाचक वाक्य )
६ . सुपट मुंडि उदुब् बकंड़ा निश्चय वाचक
वाक्य )
१ . मुंडि उदुब् बकंड़ा ( विधान वाचक वाक्य
) :- ओको बकंड़ा ते होबाओ: तन उदम रेअ: मुंडि नमो:
तना,
एना मुंडि उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वाक्य से किसी क्रिया के होने की स्थिति
का बोध होता है, उसे विधान वाचक वाक्य कहते है )
चिल्का ( जैसे ) :- सुगि मंडिए जोम तना।
(सुगि खाना खा रही है)
ने बकंड़ा रे निमतङ सुगि मंडिए जोम तना,
नेअ रअ: मुंडि नमो: तना। ने लेकागे एटअ: एटअ: बेड़ा रअ: बकंड़ाको तेओ
होबाओ: उदम रेअ: मुंडि नम दड़िओ:अ।
२ . कुनुलि उदुब् बकंड़ा ( प्रश्न वाचक वाक्य
) :- ओको बकंड़ा ते जाँन कुनुलि जॉए कुलिओ: तना,
एना कुनुलि उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वाक्य से किसी को कोई प्रश्न पूछे
जाने का बोध होता है, उसे प्रश्न वाचक वाक्य
कहते हैं ।)
चिल्का ( जैसे ) :-
एंगम कमि तनाए: चि ?
( क्या तुम्हारी माँ काम करती है ?)
होड़ो जगर रेअ: बकंड़ा एनेटे: च टुंड़ु रे
कुनुलि नङ “चि” जोटोगो: तना। मेन्दो मिसा-मिसा बकंड़ा रे “चि” बेगर जोटो: तेओ सड़ा
रअ: पुचिद् जुगुतु तेगे कुनुलि बइओ: तना।
३ . उजुर उदुब् बकंड़ा ( नकार वाचक वाक्य )
:- ओको बकंड़ा ते उदम का होबाओ: रअ: मुंडि नमो:
तना,
एना उजुर उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वाक्य से किसी क्रिया के नहीं होने
का बोध होता है, उसे नकार वाचक वाक्य कहते है )
चिल्का ( जैसे ) :-
पीटी काए सेना ।
( वह बाजार नहीं जायेगा )
ने बकंड़ा ते उदम होबोओ: तन रअ: मुंडि का
नमो: तना। एना मेन्ते नेअ का उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
४ . इदु उदुब् बकंड़ा ( संदेह वाचक वाक्य )
:- ओको
बकंड़ा ते उदम होबाओ: रअ: अड़अ: उड़ु: मोन रे हिजु:तना, एना
इदुड़ो: उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वक्य से क्रिया के होने का संदेह उत्पन्न
होता है,
उसे संदेह वाचक वाक्य कहते है।)
चिल्का ( जैसे) :-
गड़ि सेनो: जना जाअ:।
( शायद गाड़ी छुट गई होगी )
ने बकंड़ा रे जोटो:अकन टुङ “जाअ:” ते मोन रे
उदम होबाओ: रअ: अड़अ: उड़ु: हिजु: तना।
५ . अनाचु उदुब् बकंड़ा ( आज्ञा वाचक वाक्य
) :- ओको
बकंड़ा ते अनाचु ओमो: तन रअ: मुंडि नमों: तना, एना गे
अनाचु उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वाक्य से आज्ञा/आदेश का भाव प्रकट
होता है,
उसे आज्ञा वाचक वाक्य कहते है।)
चिल्का ( जैसे ) :-
मंडि तुपु तपे।
( भात का बोध दो )
ने बकंड़ा रे मंडि तुपु नतिन अनाचु ओमाकना।
६ . सुपट मुंडि उदुब् बकंड़ा ( निश्चय वाचक
वाक्य ) :- ओको बकंड़ा ते उदम होबाओ: रअ: सुपट मुंडि
नमो:तना,
एना सुपट मुंडि उदुब् बकंड़ा कजिओ: तना।
( जिस वाक्य से क्रिया के निश्चित रूप से
होने का बोध हो, उसे निश्चय वाचक वाक्य कहते है )
चिल्का ( जैसे ) :-
टकाइञ् नमेअ बद्कम ।
( मुझे निश्चित रूप से रुपया मिलेगा )
बकंड़ा रेअ: टुंड़ु रे “बद्कम” जोटो: केआते
सुपट मुंडि उदुब् बकंड़ा बइओ: तना।
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