1.  जति मेता (जाति वाचक संज्ञा) :-

जेता जिउ च जिनिस रअ: जोतो जति च गोट गे जति मेता कजिओ: तना।

(जिससे प्राणी या वस्‍तु विशेष की सम्‍पूर्ण जाति का बोध होता है, उसे जाति- वाचक संज्ञा कहते हैं।)

  चिल्‍का (जैसे):-

१.    उरि: को अतिङ तना।

(गायें चर रही हैं।)

२.    बिर को उजड़ा तना।

(जंगल उजड़ रहे हैं)

३.    कोड़ाको दुबाकना।

(लड़के बैठे हैं)

४.    सेताअ: को जोमतना।

(कुत्‍त खा रहा है)

चेतन रेअ: बकंड़ा रे “उरि:” ओड़ो: लतर रेअ: बकंड़ा रे “बिर”, “कोड़ाको”, “सेताअ:”, ते जोतो जति चि गोट रअ: गे मुंडि नमो: तना। एनाते को सोबेन जति मेता तना।

(ऊपर के वाक्‍य में “उरि”, “बिर”, “कोड़ाको”, और “सेताअ:” से सम्‍पूर्ण जाति या समूह का ही बोध हो रहा है। इसलिए “उरि:”, “बिर”, “कोड़ाको”, और “सेताअ:” जाति वाचक संज्ञाएँ हैं।)

एटअ: जोनोका को :-

               अपु = पिता        गुसिया = सदस्‍य

               इपिल = तारा       जो    =   फल

               उरि: = गाय        बा    =   फूल

               कुड़ि‍ = स्‍त्री         बुरू   =  पहाड़

              एंगा = माता        कोड़ा   = पुरूष